Album: Ek Kahani
Music: Anurag Saikia, Madhubanti Bagchi, Juno
Label: Contagious Online Media Network
Released: 2024-05-20
Duration: 03:33
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कुछ जलाती, कुछ बुझाती कौन जाने, क्या है बाक़ी
कुछ जलाती, कुछ बुझाती कौन जाने, क्या है बाक़ी
इक थी ख़ामोशी, इक रुआँसा राग भी और
बची जो ख़ाक थोड़ी बाक़ी जो मिला वो फूँक
जाती कौन जाने, क्या है बाक़ी साथ में
जो चल दिए दो सुकूँ के पल जिए लगे
है थोड़ी सी निराली रे ज़िंदगी रुदाली रे
खोलती बाँहें और बुलाती राह भी चल पड़े हैं,
जहाँ भी ले जाती कुछ जलाती, कुछ बुझाती कौन
जाने, क्या है बाक़ी खोए-खोए से क्यूँ सफ़र
में चल रहे? (चल रहे) हौले-हौले से ये पहर
भी टल रहे (टल रहे) रोई-रोई आँखों से हँसते
कल कहें (कल कहें) मौसम सभी बदल रहे (मौसम
सभी बदल रहे) खोलती बाँहें और बुलाती राह
भी चल पड़े हैं, जहाँ भी ले जाती कुछ
जलाती, कुछ बुझाती कौन जाने, क्या है बाक़ी