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Guru Govind Dou Khade by Kumar Vishu
download Kumar Vishu  Guru Govind Dou Khade mp3 Single Tracks song

Album: Guru Govind Dou Khade

Singer: Kumar Vishu

Music: Rattan Parsanna

Label: Brijwani Cassettes

Released: 2000-07-24

Duration: 29:51

Downloads: 1731818

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Guru Govind Dou Khade Song Lyrics

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय गुरु गोविंद
दोऊ खड़े, काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने, गोविंद
दियो बताय कबीरा, गोविंद दियो बताय यह तन
विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान यह तन
विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान शीश दियो
जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान कबीरा, तो
भी सस्ता जान सब धरती कागद करूँ, लेखनी
सब वनराय सब धरती कागद करूँ, लेखनी सब वनराय
सात समुद्र की मसीह करूँ, गुरु गुन लिखा ना
जाय कबीरा, गुरु गुन लिखा ना जाय ऐसी
वाणी बोलिए मन का आप खोय ऐसी वाणी बोलिए
मन का आप खोय औरन को शीतल करे, आपहुं
शीतल होय कबीरा, आपहुं शीतल होय बड़ा हुआ
तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर बड़ा हुआ तो
क्या भया, जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं,
फल लागे अति दूर कबीरा, फल लागे अति दूर
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया
कोय बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया
कोय जो दिल खोजा आपना, मुझ से बुरा न
कोय कबीरा, मुझ से बुरा न कोय माटी
कहे कुम्हार से, तू क्यों रौंधे मोय? माटी कहे
कुम्हार से, 'तू क्यों रौंधे मोय? एक दिन ऐसा
आएगा, मैं रौंधूँगी तोय' कबीरा, मैं रौंधूँगी तोय
दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न
कोय दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे
न कोय जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे
को होय कबीरा, दुख काहे को होय चलती
चाकी देख के दिया कबीरा रोय चलती चाकी देख
के दिया कबीरा रोय दो पाटन के बीच में
साबुत बचा न कोय कबीरा, साबुत बचा न कोय
माली आवत देख के कलियन करी पुकार माली
आवत देख के कलियन करी पुकार फूले-फूले चुन लिए,
काल हमारी बार कबीरा, काल हमारी बार मनवा
तो पंछी भया, उड़ के चला आकाश मनवा तो
पंछी भया, उड़ के चला आकाश ऊपर ही ते
गिर पड़ा, मन-माया के पास कबीरा, मन-माया के पास
माया मरी न मन मरा, मर-मर गया शरीर
माया मरी न मन मरा, मर-मर गया शरीर आशा
तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर कबीरा, कह
गए दास कबीर कबीरा, माया पापिणीं, हरि सूँ
करे हराम कबीरा, माया पापिणीं, हरि सूँ करे हराम
मुखि कड़ियाई कुमति की, कह न देई राम कबीरा,
कह न देई राम यह तन काचा कुंभ
है, लिया फिरे ये साथ यह तन काचा कुंभ
है, लिया फिरे ये साथ टपका लागा फुटि गया,
कछू न आया हाथ कबीरा, कछू न आया हाथ
मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो
तेरा मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो
तेरा तेरा तुझको सौंपता, क्या लागै है मेरा कबीरा,
क्या लागै है मेरा तेरा साईं तुझमें है,
ज्यों पुहुपन में बास तेरा साईं तुझमें है, ज्यों
पुहुपन में बास कस्तूरी का हिरण ज्यों, फिर-फिर ढूँढे
घास कबीरा, फिर-फिर ढूँढे घास कबीरा, गर्व न
कीजिये, कबहू न हँसिये कोय कबीरा, गर्व न कीजिये,
कबहू न हँसिये कोय अजहू नाव समुंदर में, न
जाने क्या होय कबीरा, न जाने क्या होय
करता था तो क्यूँ रहा, अब करि क्यूँ पछताय
करता था तो क्यूँ रहा, अब करि क्यूँ पछताय
बोय पेड़ बबूल का, आम कहाँ से पाय कबीरा,
आम कहाँ से पाय कबीर, सो धन संचिये,
जो आगे कूँ होय कबीर, सो धन संचिये, जो
आगे कूँ होय शीष चढ़ाए पार, ले जात न
देखा कोय कबीरा, जात न देखा कोय जिस
घट प्रीति न प्रेम-रस, पुनि रसना नहीं राम जिस
घट प्रीति न प्रेम-रस, पुनि रसना नहीं राम ते
नर इस संसार में, उपजी भये बेकाम कबीरा, उपजी
भये बेकाम काल करे सो आज कर, आज
करे सो अब काल करे सो आज कर, आज
करे सो अब पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा
कब कबीरा, बहुरि करेगा कब निंदक नियरे राखिये,
आँगन कुटी छावाय निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छावाय
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय कबीरा, निर्मल
करे सुहाय पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की
जात पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात देखत
ही छुप जाएगा है, ज्यों तारा परभात कबीरा, ज्यों
तारा परभात मन के मते न चालिये, मन
के मते अनेक मन के मते न चालिये, मन
के मते अनेक जो मन पर असवार है, है
साधु कोई एक कबीरा, है साधु कोई एक
ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग
ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो
जाग कबीरा, जाग सके तो जाग जहाँ दया
तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहाँ पाप जहाँ दया
तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहाँ पाप जहाँ क्रोध
तहाँ काल है, जहाँ क्षमा वहाँ आप कबीरा, जहाँ
क्षमा वहाँ आप कबीरा, संगति साधु की, निष्फल
कभी न होय कबीरा, संगति साधु की, निष्फल कभी
न होय होगी चंदन पास ना, नीम न कहसी
होय कबीरा, नीम न कहसी होय जो घट
प्रेम न संचारे, सो घट जान मसान जो घट
प्रेम न संचारे, सो घट जान मसान जैसे खाल
लुहार की, साँस लेत बिनु प्राण कबीरा, साँस लेत
बिनु प्राण जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे
आकाश जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे आकाश जो
हैं जा को भावना, सो ताहि के पास कबीरा,
सो ताहि के पास जाति न पूछो साधु
की, पूछ लीजिये ज्ञान जाति न पूछो साधु की,
पूछ लीजिये ज्ञान मोल करो तलवार का, पड़ा रहन
दो म्यान कबीरा, पड़ा रहन दो म्यान जग
में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय जग
में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय यह
आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय कबीरा,
दया करे सब कोय ते दिन गए अकारथ
ही, संगत भई न संत ते दिन गए अकारथ
ही, संगत भई न संत प्रेम बिना पशु जीव
ना, शक्ति बिना भगवंत कबीरा, शक्ति बिना भगवंत
तीरथ गए सो एक फल, संत मिले फल चार
तीरथ गए सो एक फल, संत मिले फल चार
सत्गुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार कबीरा, कहे
कबीर विचार तन को जोगी सब करे, मन
को बिरला कोय तन को जोगी सब करे, मन
को बिरला कोय सहजे सब विधि पाइए, जो मन
जोगी होय कबीरा, जो मन जोगी होय प्रेम
न बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाय प्रेम न
बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाय राजा परजा जीहि
रुचे, सीस देय ले जाय कबीरा, सीस देय ले
जाय जिन घर साधु न पुजिये, सो घर
की सेवा नाहीं जिन घर साधु न पुजिये, सो
घर की सेवा नाहीं ते घर मरघट सा दिखे,
भूत बसे दिन माही कबीरा, भूत बसे दिन माही
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुहाय साधु ऐसा
चाहिए, जैसा सूप सुहाय सार-सार को गहि रहे, थोथा
देय उड़ाय कबीरा, थोथा देय उड़ाय आछे दिन
पाछे गए, हरि से कियो न हेत आछे दिन
पाछे गए, हरि से कियो न हेत अब पछताये
होत क्या, चिड़िया चुग गई खेत कबीरा, चिड़िया चुग
गई खेत उजला कपड़ा पहिरि करि, पान सुपारी
खाहि उजला कपड़ा पहिरि करि, पान सुपारी खाहि ऐसे
हरि का नाम बिना, बाँधे जमकुटि नाहि कबीरा, बाँधे
जमकुटि नाहि संगत कीजै साधु की, कभी न
निष्फल होय संगत कीजै साधु की, कभी न निष्फल
होय लोहा पारस परसते, सो भी कंचन होय कबीरा,
सो भी कंचन होय

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