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Tumhein Apna Sathi by Lata Mangeshkar, Shabbir Kumar
download Lata Mangeshkar, Shabbir Kumar  Tumhein Apna Sathi mp3 Single Tracks song

Album: Tumhein Apna Sathi

Singer: Lata Mangeshkar, Shabbir Kumar

Music: Laxmikant - Pyarelal

Lyrics: S. H. Bihari

Label: T-Series

Released: 1985-10-11

Duration: 08:15

Downloads: 3459852

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Tumhein Apna Sathi Song Lyrics

हज़ारों आँधियाँ आएँ हज़ारों बिजलियाँ चमकें कभी साथी को
तनहा राह में छोड़ा नहीं करते तुम्हें अपना
साथी बनाने से पहले मेरी जान, मुझ को बहुत
सोचना है मेरी जान, मुझ को बहुत सोचना है
तुम्हें अपना साथी बनाने से पहले मेरी जान, मुझ
को बहुत सोचना है मेरी जान, मुझ को बहुत
सोचना है मोहब्बत की दुनिया बसाने से पहले
मेरी जान, मुझ को बहुत सोचना है तुम्हें अपना
साथी बनाने से पहले मेरी जान, मुझ को बहुत
सोचना है मेरी जान, मुझ को बहुत सोचना है
कहाँ से मैं लाऊँगा रेशम की साड़ी? ये
बंगला, ये मोटर नहीं ले सकूँगा मेरा दिल ही
बस एक मेरी मिलकियत है जो चाहो तो बस
मैं यही दे सकूँगा मगर दिल की धड़कन
सुनाने से पहले मेरी जान, मुझ को बहुत सोचना
है तुम्हें अपना साथी बनाने से पहले मेरी
जान, मुझ को बहुत सोचना है मेरी जान, मुझ
को बहुत सोचना है ये रंगीन, यारा, हथ-ए-ज़िंदगी
की ये रंगीन, यारा, हथ-ए-ज़िंदगी की बहुत कुछ तुम्हें
हँस के खोना पड़ेगा कभी मेरी ग़ुर्बत ने आँसू
दिए तो तुम्हें भी मेरे साथ रोना पड़ेगा
मगर साथ तुम को रुलाने से पहले मेरी जान,
मुझ को बहुत सोचना है तुम्हें अपना साथी
बनाने से पहले मेरी जान, मुझ को बहुत सोचना
है मेरी जान, मुझ को बहुत सोचना है
मैं डरता हूँ उस दिन की रुसवाइयों से मैं
डरता हूँ उस दिन की रुसवाइयों से कहीं प्यार
पर अपने दुनिया हँसे ना मोहब्बत का हो नाम
बदनाम हम से ज़माना कहीं हम पे ताने कसे
ना सितारों की महफ़िल सजाने से पहले मेरी
जान, मुझ को बहुत सोचना है तुम्हें अपना
साथी बनाने से पहले मेरी जान, मुझ को बहुत
सोचना है मेरी जान, मुझ को बहुत सोचना है
मोहब्बत जिन्हें हो गई हो किसी से मोहब्बत
जिन्हें हो गई हो किसी से मोहब्बत का अंजाम
कब सोचते हैं? ये ऐसा सुहाना सफ़र है
कि जिसमें हज़ारों हैं नकाम कब सोचते हैं चराग़-ए-वफ़ा
अपने हाथों में लेकर मोहब्बत की राहों में जो
चल पड़े हैं बयाबाँ में होगी कि सहरा
में होगी कहाँ होगी अब शाम कब सोचते हैं
कहाँ होगी अब शाम कब सोचते हैं मोहब्बत
के मारों को अब और, ऐ, दिल सताएँगी क्या
सख़्तियाँ ज़िंदगी की? जिन्हें थक के नींद आ गई
पत्थरों पर वो दुनिया का आराम कब सोचते हैं?
ये इंसान क्या है, ख़ुदा के भी आगे
कभी प्यार दुनिया में झुकता नहीं है प्यार झुकता
नहीं है मोहब्बत ही जिनका ख़ुदा बन चुकी
हो किसी और का नाम कब सोचते हैं?
मोहब्बत जिन्हें हो गई हो किसी से मोहब्बत का
अंजाम कब सोचते हैं मोहब्बत का अंजाम कब सोचते
हैं

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