एक बार कभी यूँ भी एक रात गुज़ारो तुम आँखों में तेरी खो कर हो जाऊँ कहीं मैं गुम एक बार कभी यूँ भी एक वादा कर दो तुम थोड़ा सा हँसा देना हो आँख मेरी जब नम एक बार कभी यूँ भी एक बात मेरी मानो मैं जो भी कहूँ तुमसे वो मान लो हँस के तुम एक बार कभी यूँ भी एक रात गुज़ारो तुम आँखों में तेरी खो कर हो जाऊँ कहीं मैं गुम जो उम्र सा लंबा हो वो लम्हा बन जाओ यूँ भी कभी मुझसे मिलो फिर दूर नहीं जाओ मैं रात का टुकड़ा हूँ तुम धूप हो सुबह की छू कर मुझे दुनिया मेरी तुम रोशन कर जाओ एक बार ज़रा सुन लो क्या मेरे लिए हो तुम मैं बंजर एक धरती तुम बारिश का मौसम एक बार कभी यूँ भी एक बार मेरी बात मानो मैं जो भी कहूँ तुमसे वो मान लो हँस के तुम एक बार कभी यूँ भी एक रात गुज़ारो तुम आँखों में तेरी खो कर हो जाऊँ कहीं मैं गुम