Album: Kaisa Kudrat Ka Kanoon
Singer: Mohammad Aziz
Music: Laxmikant - Pyarelal
Lyrics: Farukh Kaiser
Label: T-Series
Released: 1987-09-30
Duration: 06:00
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चारों तरफ़ अंधेर मचा है चारों तरफ़ अंधेर मचा
है, पानी महँगा, सस्ता ख़ून कोई बताए ये है
रे कैसा कुदरत का कानून? चारों तरफ़ अंधेर
मचा है, पानी महँगा, सस्ता ख़ून कोई बताए ये
है रे कैसा कुदरत का कानून? कैसा कुदरत का
कानून? किसने किया अपराध यहाँ पर? कौन बना
है बंदी? किसने किया अपराध यहाँ पर? कौन बना
है बंदी? ऊपर वाले तेरी दुनिया इतनी हो गई
गंदी, रे गंदी इतनी हो गई गंदी देख
रहा है सबका तमाशा कुदरत का कानून कुदरत का
कानून चारों तरफ़ अंधेर मचा है, पानी महँगा,
सस्ता ख़ून कोई बताए ये है रे कैसा कुदरत
का कानून? कैसा कुदरत का कानून? आबरू लूटे
नारी की ये इज़्ज़त के रखवाले आबरू लूटे नारी
की ये इज़्ज़त के रखवाले मेरे मालिक, कैसे-कैसे पापी
जग ने पाले पाप के हाथों में है
खिलौना, कुदरत का कानून कुदरत का कानून चारों
तरफ़ अंधेर मचा है, पानी महँगा, सस्ता ख़ून कोई
बताए ये है रे कैसा कुदरत का कानून? कैसा
कुदरत का कानून? हार हुई सच्चाई की, झूठ
की हो गई जीत हार हुई सच्चाई की,
झूठ की हो गई जीत आज तेरे संसार की
सारी उलटी हो गई रीत रे मालिक, उलटी हो
गई रीत ऐसा लगता हो गया उलटा कुदरत
का कानून कुदरत का कानून चारों तरफ़ अंधेर
मचा है, पानी महँगा, सस्ता ख़ून कोई बताए ये
है रे कैसा कुदरत का कानून? कैसा कुदरत का
कानून? अबला की जो इज़्ज़त लूटे उसके सर
पे चमके ताज और सितम क्या रह गया बाक़ी
तेरे जग में आज रे मालिक, तेरे जग में
आज? कब तक यूँ ही खाएगा धोखा कुदरत
का कानून? कुदरत का कानून चारों तरफ़ अंधेर
मचा है, पानी महँगा, सस्ता ख़ून कोई बताए ये
है रे कैसा कुदरत का कानून? कैसा कुदरत का
कानून?