Album: Tumhe Dillagi
Music: RCR, Sumit Bhalla, Rohit Kumar, Nusrat Fateh Ali Khan
Lyrics: Rohit Kumar, Purnam Allahabadi
Label: RCR
Released: 2023-10-06
Duration: 04:15
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काँटों सी चुभती टहनियाँ हैं तेरी यादें, कोई गुलाब
का फूल ना है मैं रोज़ यही भूल जाता
हूँ के तुझे भूलना है, तुझे भूलना है
तुम्हें दिल-लगी भूल जानी पड़ेगी तुम्हें दिल-लगी भूल जानी
पड़ेगी मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो मोहब्बत
की राहों में आकर तो देखो तड़पने पे
मेरे ना फिर तुम हँसोगे तड़पने पे मेरे ना
फिर तुम हँसोगे कभी दिल किसी से लगा कर
तो देखो कभी दिल किसी से लगा कर तो
देखो जैसे-जैसे बड़ा होता जा रहा, ख़्वाहिशें मर
रही हैं यादें तेरी तीन साल से दिल में
मेरे सड़ रही हैं कहती थी जो, 'सात जनम
तेरी होके रहना है' अब यही वादे आज वो
किसी और से कर रही है नींद में
सुलाए रखा इश्क़ की पहेली ने हज़ारों अरमान मेरे
तोड़ दिए अकेली ने कौन तेरे घर आया, किसके
तू जाती थी सब कुछ बता दिया मुझे तेरी
सहेली ने 'तंग आ गई हूँ तुमसे', मुझपे
इतना क्यूँ चिल्लाता है? 'नोच लूँगी, नीचे कर, आँखें
किसको दिखाता है?' रहने कौ तैयार थी जो मेरे
संग ग़रीबी में वो जाते-जाते कह गई के 'तू
कितना ही कमाता है' इतनी Insecure, सहेलियों से
ना मिलाती थी जिस दिन बात ना हो, उस
दिन खाना वो ना खाती थी सर-ए-आम हटा दिया
मुझे अपनी ज़िंदगी से Photo मेरी Wallpaper से ना
जो हटाती थी कैसी वफ़ा थी ये, कैसी
मोहब्बत कैसी वफ़ा थी ये, कैसी मोहब्बत होकर भी
मेरे तुम, मेरे नहीं थे होकर भी मेरे तुम,
मेरे नहीं थे लगे ज़ख़्म तुमसे ता-उम्र हमको
लगे ज़ख़्म तुमसे ता-उम्र हमको कभी इनपे मरहम लगा
कर तो देखो तुम्हें दिल-लगी भूल जानी पड़ेगी
मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो सैर
को ले जाना तम्हें घर से पूरे ७:३० जो
होता था घर में, मुझसे आके करनी सारी बात
मेरे साथ शादी के वादे करते ना थकती थी
और नाम बच्चों के अब तुमने सोच लिए उसके
साथ दे गया तू चोट ऐसी, जिसको सहने
की ना आदत थी रुकते नहीं अब आँखों से
आँसू, जिनको बहने की ना आदत थी याद नहीं
तो याद दिलाता हूँ, ख़ुदा बनाया था तुमने मुझे
फिर किया कतल उस ख़ुदा का, ये किस तरह
की तेरी इबादत थी 'तेरे लिए आज, यार,
मैं घर वालों से लड़ जाऊँगी' 'कोई सोने का
महल भी देगा तो भी तेरे घर जाऊँगी' आज
उसी लड़की ने Number मेरा Block List में डाला
है जो कहती थी, 'तू ना मिला तो, माँ
क़सम, मैं मर जाऊँगी' वो ज़लील, वो रसे
जैसे मुर्दों से लाँघती है यादें उसकी ओस जीते-जी
सूली पे टाँगती है किस मुँह से कहूँ ये
सच्चाई दुनिया को करवा चौथ रखने वाली अब मौत
मेरी माँगती है तुम्हें दिल-लगी भूल जानी पड़ेगी
तुम्हें दिल-लगी भूल जानी पड़ेगी मोहब्बत की राहों में
आकर तो देखो (देखो)