Album: Tune Mere Jaana
Music: Sanket, Yam, Sanket Kumar Mishra, Aryan Bharadwaj
Lyrics: Sanket Kumar Mishra, Aryan Bharadwaj
Label: Manas
Released: 2021-02-26
Duration: 03:47
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आँखें हैं नम और क़लम भी मेरी रो रही
है तुझ पे लिखने बैठा हूँ, अकल भी मेरी
खो रही है तुझ को था ज़िंदगी यूँ ही
नहीं कहता मैं तू नहीं है साथ, देख साँसें
बंद हो रही हैं तुझ को परवाने के
परवाज़ की परवाह नहीं थी रुकने की राह या
फ़िर रुकने की कोई चाह नहीं थी जितनी थी
तुझ से, मेरी साँसों से वफ़ा नहीं थी किया
जो तुझ से मैंने, इश्क़ था, ज़फ़ा नहीं थी
आँखों पे रोज़ रहता बोझ, मन का बाँध
टूटे हुआ भी ऐसा क्या, हम दोनों में जो
साथ छूटे? अगर मैं झूठा तो तू ही बता
दे सच क्या है ′गर मेरा प्यार कम तो
तू बता Too Much क्या है नहीं आती
हिचकियाँ, शायद मैं अब याद नहीं हूँ तू होगी,
पर... Huh, मैं अब आज़ाद नहीं हूँ तू रहना
खुश, चाहे जिस के भी साथ रहे मेरा क्या
है, मैं तो शायर हूँ, बरबाद सही हूँ
तूने, मेरे जानाँ, कभी नहीं जाना इश्क़ मेरा, दर्द
मेरा, हाय तूने, मेरे जानाँ, कभी नहीं जाना इश्क़
मेरा, दर्द मेरा आशिक़ तेरा भीड़ में खोया
रहता है जान-ए-जहाँ, पूछो तो इतना कहता है
तुझ से मैं मिला ना आज तक फ़िर भी
तू बस गई है दिल में बातों ही बातों
में प्यार लगे ऐसा कि मैं देख रहा फ़िल्में
हम दोनों दूर फ़िर भी दूर क्यूँ नहीं
रह पाते, बता तेरे बिना लगे ऐसा मैं अकेला
पड़ा इस बड़ी महफ़िल में दुख होता सोच
के, जब तू साथ होगी नहीं Feelings ना होती
मेरे लिए तो तू रोती नहीं सोती नहीं तू
बेचैन सी मुझ को कर के याद वक्त ना
दे पाता था, वो मेरी मजबूरी थी मैं
था मग़रूर इस दुनिया की बुराइयों में खुद को
ना देख पाता खुद की ही परछाइयों में तूने
सिखाया, जीते हैं कैसे खुश रह के निकल ही
नहीं पाता मैं तो इन गहराइयों से नसीब
में तू नहीं, पर रोज़ आती सपने में याद
आते वो पल, साथ वो जब अपने थे मैं
रो दूँ, पर आँसू भी तो हैं मंज़ूर नहीं
कहते उस को भुला और खुद को तू तरसने
दे तूने, मेरे जानाँ, कभी नहीं जाना इश्क़
मेरा, दर्द मेरा, हाय तूने, मेरे जानाँ, कभी नहीं
जाना इश्क़ मेरा, दर्द मेरा आशिक़ तेरा भीड़
में खोया रहता है जान-ए-जहाँ, पूछो तो इतना कहता
है बहता है इश्क़ मेरी आँखों से बरसात
बन के पहुँच के ज़मीन तलक, गूँजते ये बात
बन के यादों के मौसम से छिप जाते शामियाने
तले फिर चले जाते हैं रूठे दूल्हे की बारात
बन के हाँ, बैठे हम रहते थे साथ
में होता था हाथ एक-दूजे के हाथ में होंठों
पर होंठों की खामोशी आँखों की भाषा थी मौजूद
बात में तेरे बरामदे में होगी बरामद मेरे
हिस्से की चाहत जब इश्क़ ही है आख़िरी सबूत
ये वकील तो फिर छोड़ेगा ही वकालत है लानत
कि मैंने ना छोड़ी मोहब्बत जो आँखें मिलाते
नहीं वो आँखों में मेरी चुभते हैं भूल भी
वो पाते नहीं, और देख के मुझ को वो
छुपते हैं किसी ग़ैर के आगे अभी ख़ुद ही
उलट के वो झुकते हैं ना मैंने झुकाया कभी,
हाँ, फिर भी ना पल भर वो रुकते हैं
सच मान बैठा बातों को जो होती थी
मज़ाकिया सहता भी कैसे? अब रहा नहीं मैं माफ़िया
कितने ही पल तेरी याद में बिताए मैंने लिखे
इतने ख़त, थक गया मेरा डाकिया जान थी
वो मेरी, मुझे जान ही ना पाई अब उस
से ही माँगता हूँ जान की दुहाई और कहे
कैसे कोई कभी किसी को भी अपना होती जब
साली खुद की जान भी पराई?