तेरा अक्स है जो तू भी वो ही क्यूँ नहीं? जैसी तेरी सूरत वैसी सीरत क्यूँ नहीं? हो, तेरा अक्स है जो तू भी वो ही क्यूँ नहीं? जैसी तेरी सूरत वैसी सीरत क्यूँ नहीं? चेहरे क्यूँ बदलती है? साथ क्यूँ ना चलती है? ज़िंदगी, तू जलती है ख़्वाबों से मेरे कैसी ये ख़लाएँ हैं, दिल को भर के जाएँ हैं बेसबब रुलाएँ हैं जाने से तेरे तेरा अक्स है जो तू भी वो ही क्यूँ नहीं? जैसी तेरी सूरत वैसी सीरत क्यूँ नहीं? सब कुछ जैसे ठहरा हुआ है थम गया है पल वहीं पे, तू जहाँ रुकी ख़ुद में ऐसे तू खो गई है अब तुझे मेरा कोई ख़याल भी नहीं ज़िंदगी, सँभल जा तू, थोड़ी सी बदल जा तू रहम कर, पिघल जा तू, ज़िद क्यूँ तू करे? चेहरे क्यूँ बदलती है? साथ क्यूँ ना चलती है? ज़िंदगी, तू जलती है ख़्वाबों से मेरे तेरा अक्स है जो तू भी वो ही क्यूँ नहीं? जैसी तेरी सूरत वैसी सीरत क्यूँ नहीं? तुझको मुझसे कितने गिले हैं दूरियों में खो गई हैं क़ुर्बतें कहीं क़तरा-क़तरा जीने लगे हैं ज़िंदगी, तुझे हैं क्यूँ शिकायतें कई? रब से अब गिला सा है, वक्त से मिला सा है ख़ुद से फ़ासला सा है अब तो बिन तेरे चेहरे क्यूँ बदलती है? साथ क्यूँ ना चलती है? ज़िंदगी, तू जलती है ख़्वाबों से मेरे तेरा अक्स है जो तू भी वो ही क्यूँ नहीं? जैसी तेरी सूरत वैसी सीरत क्यूँ नहीं?