Album: Ye To Allah Ko Khabar
Singer: Mohammed Rafi
Music: Kalyanji–Anandji
Label: Universal Music India .
Released: 1981-01-01
Duration: 06:04
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भटकते देखे हैं लाखों मुल्ला करोड़ों पंडित, हज़ारों सियाने
जो ख़ूब सोचा, समझ में आया ख़ुदा की बातें
ख़ुदा ही जाने आके दुनिया में, बशर, काम
करना है जो कर आके दुनिया में, बशर, काम
करना है जो कर साफ़ नीयत है अगर, फिर
ना अंजाम से डर जाने पड़ती है किधर
उसकी रहमत की नज़र जाने पड़ती है किधर उसकी
रहमत की नज़र ये तो अल्लाह को ख़बर, ये
तो मौल्ला को ख़बर ये तो अल्लाह को ख़बर,
ये तो मौल्ला को ख़बर देखते-देखते क्यूँ खेल
बिगड़ जाते हैं? देखते-देखते क्यूँ खेल बिगड़ जाते हैं?
क्यूँ बहारों में भरे बाग़ उजड़ जाते हैं? प्यार
से पाला जिन्हें अपना लहू दे-दे कर उसी डाली
से वही फूल बिछड़ जाते हैं किसी ज़ालिम
का बसे, किसी ज़ालिम का बसे लूटे मज़लूम का
घर, लूटे मज़लूम का घर ये तो अल्लाह को
ख़बर, ये तो मौल्ला को ख़बर ये तो अल्लाह
को ख़बर, ये तो मौल्ला को ख़बर वो
जो चाहे तो बुरा वक़्त भी टल सकता है
वो जो चाहे तो बुरा वक़्त भी टल सकता
है वही क़िस्मत की लकीरों को बदल सकता है
ज़ात पर उसकी भरोसा है तो, बंदे, इक दिन
रात के सीने से सूरज भी निकल सकता है
आदमी को क्या ख़बर, आदमी को क्या ख़बर
उसकी मंज़िल है किधर, उसकी मंज़िल है किधर ये
तो अल्लाह को ख़बर, ये तो मौल्ला को ख़बर
ये तो अल्लाह को ख़बर, ये तो मौल्ला को
ख़बर जाने किस भेस में, किस मोड़ पे
वो मिल जाए जाने किस भेस में, किस मोड़
पे वो मिल जाए तेरी उम्मीद की हर एक
कली खिल जाए दिल से निकली हुई फ़रियाद में
वो ताक़त है वो जो सुन ले तो पहाड़ों
का भी दिल हिल जाए माँगते रहना दुआ,
माँगते रहना दुआ होगा किस वक़्त असर, होगा किस
वक़्त असर ये तो अल्लाह को ख़बर, ये तो
मौल्ला को ख़बर ये तो अल्लाह को ख़बर, ये
तो मौल्ला को ख़बर ज़ुल्म की आग में
ज़ालिम को जलाया उसने ज़ुल्म की आग में ज़ालिम
को जलाया उसने एक मजबूर का घर फिर से
बसाया उसने नाम लेता हुआ उसका जो सवाली आए
उसके दरबार से हरगिज़ ना वो ख़ाली जाए
उसके घर देर सही, उसके घर देर सही नहीं
अँधेर, मगर जाने पड़ती है किधर उसकी रहमत की
नज़र, उसकी रहमत की नज़र ये तो अल्लाह को
ख़बर, ये तो मौल्ला को ख़बर ये तो अल्लाह
को ख़बर, ये तो मौल्ला को ख़बर